A REVIEW OF SHIV CHAISA

A Review Of Shiv chaisa

A Review Of Shiv chaisa

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वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

It is made of forty verses (chalisa), published inside the Hindi language. The chalisa is structured inside a poetic format which is extensively recited by devotees as a means to praise and search for blessings from Lord Shiva.

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अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा

बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें

कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ कठिन भक्ति shiv chalisa lyricsl देखी प्रभु Shiv chaisa शंकर ।

Whosoever presents incense, Prasad and performs arati to Lord Shiva, with love and devotion, enjoys materials happiness and spiritual bliss In this particular planet and hereafter ascends to the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva eradicated the suffering of all and grants them eternal bliss.

मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।

अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट Shiv chaisa में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥

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